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(0)By : Nazima
अहमद अली ख़ामोश शख्सियत
ये पुस्तक मेरे पिताजी को वो श्रद्धांजलि है जो उनकी आत्मा को शांति प्रदान करेगी वो जिस भी जहान में होंगे।
इसमें लिखी गई एक एक बात सत्य और खरी है बिल्कुल उसी तरह जिस तरह मेरे पिता जी थे या यूं कह सकते हैं की इसमें लिखे शब्द पूर्णतः पिताजी के किरदार को दर्शा रहे हैं।
पिताजी को परिवार के जिन सदस्यों से मोह था और परिवार के वो सदस्य जिन्हें पिताजी से मोह है ने बड़े ही सुन्दर शब्दों में उन्हें लिखने का पूर्ण प्रयास किया है।
मुझे इस बात की बहुत अधिक खुशी और प्रसन्नता है की मैं उनकी बेटी ने अपने लिखने के हुनर को आज उनको अर्पित पुस्तक के माध्यम से अपने भाव को उन तक और सभी तक पहुंचाने की पूर्ण कोशिश की है।
मेरे लिखने का उद्देश्य सिर्फ इतना है की पिता जी को मेरे शब्दों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित हो सके और उनकी जीवन भर की यादें इस पुस्तक के माध्यम से मेरे और मेरे परिवार के पास जीवन भर रह सके।