Mukesh Kumar Dubey 'Durlabh'
मुकेश कुमार दुबे साहित्यिक नाम :- मुकेश कुमार दुबे “दुर्लभ”, इनका जन्म 5 फरवरी 1980 को बिहार राज्य के सिवान जिला के रघुनाथपुर प्रखंड के पंजवार ग्राम में हुआ था । इनके पिताजी का नाम स्व. श्री विक्रमा दुबे और माताजी का नाम श्रीमती लक्ष्मी देवी है ।1994 में बिहार बोर्ड से दसवीं कक्षा की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद दिल्ली गए जहां सी बी एस ई बोर्ड से बारहवीं कक्षा की परीक्षा प्रथम श्रेणी में ही 1996 में उत्तीर्ण हुए । दिल्ली विश्वविद्यालय से भूगोल ऑनर्स में स्नातक प्रथम श्रेणी में 1999 में तथा मदुरई कामराज विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण हुए । इसी बीच 2001 में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी से बी एंड की परीक्षा उत्तीर्ण हुए ।
2007 में श्रीमती नेहा दुबे के साथ प्रणय सूत्र बंधन में बंधे । सन् 2014 ई में बिहार सरकार के अंतर्गत सिवान जिला के प्रखण्ड नियोजन इकाई सिवान सदर द्वारा राजकीय कृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय बढ़ेया सिवान सदर जिला सिवान बिहार में प्रशिक्षित प्रखंड शिक्षक के रूप में नियोजित किए गए । 6 जनवरी 2022 से उच्च माध्यमिक विद्यालय सलेमपुर प्रखंड सिवान सदर जिला सिवान बिहार में शिक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त है ।
इनकी प्रकाशित रचनाओं में मुरझाए पुष्प ( काव्य संग्रह), बलिदान ( नाटक) और बारहमासा (लघु काव्य संग्रह) प्रमुख है । सैकड़ों सांझा संकलनों में कविताएं, कहानियां, आलेख, संस्मरण, गीत, भजन, आदि प्रकाशित है । मनसंगी साहित्य संगम, शब्दसागर साहित्य संगम, संस्कार न्यूज़, भोजपुरी राज्य संदेश, शब्द शब्द दर्पण, अग्रसोच न्यूज़, आदि में नियमित सहयोगी रचनाकार हैं ।
प्रेमचंद स्मृति साहित्य सम्मान 2022, देवम स्मृति साहित्य सम्मान 2023, महिला सशक्तिकरण सम्मान ,कला एवं संस्कृति सम्मान, अंबेडकर सम्मान, वीरांगना सम्मान, पर्यावरण संरक्षण सम्मान, सर्वश्रेष्ठ सृजन सम्मान (साहित्यिक मित्रमंडल जबलपुर), उत्कृष्ट रचना सम्मान (कीर्तिमान साहित्य पत्रिका समूह), देशभक्त महाराणा प्रताप सम्मान सहित सैकड़ों सम्मान प्राप्त है। साहित्यिक प्रतियोगिताओं में प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त तथा निर्णायक मंडल खोज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर जज के रूप में स्वतंत्र लेखन समूह में प्रतिस्थापित है। शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए जन दृष्टि व्यवस्था सुधार मिशन, बदायूं, उत्तर प्रदेश द्वारा संतपाल सिंह राठौर स्मृति राष्ट्रीय उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2023 तथा वृजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी, आगरा, उत्तर प्रदेश द्वारा गुरुरत्न सम्मान 2023 प्राप्त हैं । सम्प्रति शिक्षण और साहित्य लेखन कार्य में संलग्न हैं । आप उन तक पहुंच सकते हैं :
- Fiction, Poetry, Short Stories, Story Teller
- Male
- 7
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(0)By : Amarpreet BudhirajaHardeep Kaur ChananaKadambari GuptaMukesh Kumar Dubey 'Durlabh'Ritisha Reena JainSupriya SrivastavaVipin V KambleVirendra Jain
सपनों की उड़ान
सपनों की उड़ान, नीले आसमान के कोमल आलिंगन में, जहां सपनों को पंख लगते हैं, “सपनों की उड़ान” को देखें। प्रत्येक क्षण एक छंद, प्रत्येक गुनगुनाहट एक छंद, अज्ञात गंतव्यों की कहानियाँ बुनती है।
हलचल भरे उतार चढ़ाव के बीच, ज़िंदगियाँ कहानियों की तरह मिलती हैं, प्रत्येक लेखक/ कवि अनकहे रहस्यों वाला एक नायक है।
जीवन आरोहण, मानवीय महत्वाकांक्षा का एक रूपक है, जो सांसारिक सीमाओं से बचकर, स्वर्ग में उड़ रहा है। आपके अंदर का कवि हर उड़ान में, हर पड़ाव में कविता देखता है- जीवन की शुरुआत और अंत का एक रूपक।
और जैसे ही “सपनों की उड़ान” अपनी मंजिल की ओर बढ़ती है, वह उड़ान के जादू पर आश्चर्यचकित होने से खुद को नहीं रोक पाता, यह जीवन की यात्रा का एक रूपक है- प्रत्याशा, रोमांच और नई शुरुआत के उत्साह से भरा हुआ। यह एक कहानी है जो कहे जाने की प्रतीक्षा कर रही है, एक कविता है जो लिखे जाने की प्रतीक्षा कर रही है, उस अनंत आकाश में जो हमारे सपनों को पालने में है।
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भाव कलश
“भाव कलश” मुकेश जी की भावनाओं का संग्रह है, जिसमें मन की गहराइयों को हमसे मिलाते हैं। वे शब्दों के सामर्थ्य से छुपे भावनाओं को बयान करते हैं, यह एक साहित्यिक सफर, भावनाओं का सफर है । जिसमें भावनाओं का सार समाहित है। प्रेम, दुःख, आनंद की कविताएं हैं इसमें, शब्दों की सहजता से भावनाओं को छूने का अद्वितीय तरीका है।
₹299.00Original price was: ₹299.00.₹249.00Current price is: ₹249.00. -
(0)By : Amarpreet BudhirajaDr. Ashwani Kumar MalhotraKadambari GuptaMukesh Kumar Dubey 'Durlabh'Rangeesh ChandrasekarVipin V KambleVirendra Jain
उलझनें और कश्मकश
“उलझनें और कश्मकश” दो शब्द हैं जो आपसी विरोध और संघर्ष की स्थितियों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। उलझनें व्यक्ति के मन में होने वाली संवादित समस्याओं को दर्शाते हैं, जबकि कश्मकश सामाजिक या राजनीतिक विवादों का संकेत देते हैं। उलझनें आत्म-संवाद, सोच और विचारों में परेशानी का परिचय करती हैं, जबकि कश्मकश समृद्धि, सामरिकता और सोच में विभिन्नता को दिखाती हैं। ये शब्द सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में होने वाली जटिलताओं को सूचित करते हैं और व्यक्तिगत या सामाजिक सुधार की दिशा में मदद कर सकते हैं।
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(0)By : Amarpreet BudhirajaDr. Ashwani Kumar MalhotraDr. Gyaneshwari Vyas (Smriti)Hardeep Kaur ChananaKadambari GuptaMukesh Kumar Dubey 'Durlabh'Rangeesh ChandrasekarRitisha Reena JainSupriya SrivastavaVipin V KambleVirendra Jain
यादें
यादें हमारे जीवन की मिठास हैं, जो हमारे दिल के कोने में बैठी रहती हैं। इन यादों का सफर हमें खुशियों की ऊंचाइयों तक ले जाता है तो कुछ दर्द भी हमें सही रास्ते पर चलने की दिशा में ले जाते हैं। इस किताब में हम आपको एक ऐसे सफर पर ले जा रहे हैं, जहां हर पन्ने पर यादों का जादू महसूस होगा।
ये यादें हमें अपने अतीत के खूबसूरत पलों को फिर से जीने और अपने जीवन को एक नए तरीके से जीने का मौका देती हैं। इस किताब में हम आपको छुपी कहानियों और अनजानी भावनाओं के जरिए एक यादगार सफर पर ले चलेंगे, जिससे आप अपनी जिंदगी को एक नए नजरिए से देख पाएंगे।
इस पुस्तक के माध्यम से, हम आपको सिखाते हैं कि यादें हमारे जीवन को कैसे सार्थक बना सकती हैं और वे हमारे अस्तित्व के महत्व को समझने में कैसे मदद कर सकती हैं। इस किताब को पढ़कर आप अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण यादें खोज पाएंगे और उन्हें नए तरीके से आत्मसात कर पाएंगे।
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चांद, रात और तुम
प्यार की एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली रचना जो समय और स्थान की बाधाओं को पार करती है। चाँदनी रातों की पृष्ठभूमि पर आधारित यह पुस्तक नियति और इच्छा के बीच एक काव्यात्मक नृत्य प्रस्तुत करती है। चंद्रमा की किरणों जैसी चमकदार कविताओं/गद्य के साथ, कथा भावनाओं का पर्दा बुनती है, पाठकों को जुनून और लालसा की दिव्य यात्रा पर ले जाती है। यह पुस्तक एक वाद्य वृन्द रचना है जो चंद्रमा की शांत दृष्टि के तहत जुड़ाव के जादू की खोज करती है।
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(0)By : Amarpreet BudhirajaDr. Ashwani Kumar MalhotraKadambari GuptaMukesh Kumar Dubey 'Durlabh'Rangeesh ChandrasekarVidhi BhambhaniVipin V KambleVirendra Jain
प्रेम प्रतिध्वनि
प्रेम प्रतिध्वनि, एक सह संकलन है , जो की प्रयास करता है कि हम प्रेम के गहन और बहुमुखी पहलुओं की खोज पर चलें। साथ मिलकर, हम भावनाओं, कहानियों और प्रतिबिंबों का एक शिल्प बुनेंगे जो प्रेम के सार्वभौमिक सार के साथ प्रतिध्वनित होता है। “प्रेम प्रतिध्वनि” में, प्रयासों का उद्देश्य प्रेम की जटिलताओं को उसके विभिन्न रूपों में पकड़ना है- चाहे वह रोमांटिक, पारिवारिक या आदर्शवादी हो।
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नारी का रामराज्य कब होगा
पुस्तक “नारी का रामराज्य कब होगा” में कवि ने पौराणिक कथाओं, रामायण, महाभारत के साथ ही साथ वर्तमान समय में नारी की वास्तविक स्थिति का चित्रण किया गया है। सीता के माध्यम से स्थिति स्पष्ट करते हुए दसरथ,सिरध्वज जनक, रावण, राम आदि से प्रश्न किया गया है। मुख्य प्रश्न यहीं है कि राम के राज्याभिषेक के पश्चात् अवध में रामराज्य स्थापित तो हो गया परन्तु नारियों की स्थिति में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। यहां तक कि सीता को परित्यकता बनकर वनवास झेलना पड़ा। इसलिए सीता यह प्रश्न करती है कि “नारी का रामराज्य कब होगा ” ।
अनुषंगी कविताओं में कौशल्या, सुमित्रा, श्रुति कीर्ति, मांडवी, सुलोचना, सुर्पनखा, त्रिजटा, मंदोदरी आदि का वर्णन किया गया है।
महाभारत में, द्रौपदी के माध्यम से कवि विभिन्न प्रश्न द्रुपद, द्रोण, भीष्म, कुंती आदि से किया गया है और यथासंभव उसका उत्तर देने का प्रयास किया गया है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आज की नारी, सशक्त नारी, पहले शिक्षा फिर कन्यादान, मैं नारी हूं, नारी का श्रापित जीवन और आज की भारतीय नारी नामक कविताओं के माध्यम से नारी की वास्तविक स्थिति दर्शाने का प्रयास किया गया है।